1:1 Bonus Share: फ्री में डबल शेयर! 1:1 बोनस शेयर और ब्रेकआउट का धमाका

शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों के लिए “बोनस शेयर” एक बेहद आकर्षक शब्द है। जब कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को बिना किसी अतिरिक्त कीमत के अतिरिक्त शेयर देती है, तो इसे बोनस शेयर कहा जाता है। हाल ही में कई बड़ी कंपनियों ने 1:1 बोनस शेयर देने की घोषणा की है, जिससे निवेशकों में उत्साह बढ़ गया है।

बोनस शेयर न सिर्फ निवेशकों को फ्री में अतिरिक्त शेयर देते हैं, बल्कि इससे कंपनी की छवि और बाजार में निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होता है। इसके अलावा, जब बोनस शेयर के साथ-साथ शेयर में संभावित ब्रेकआउट (तेजी से मूल्य वृद्धि) की संभावना हो, तो यह डील और भी खास हो जाती है।

Advertisements

इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि 1:1 बोनस शेयर क्या होते हैं, इनका निवेशकों और शेयर की कीमत पर क्या असर पड़ता है, रिकॉर्ड डेट का क्या महत्व है, और क्यों ऐसे समय में शेयर में बड़ा मूवमेंट आ सकता है।

1:1 बोनस शेयर क्या है? (What is 1:1 Bonus Share?)

बोनस शेयर वे अतिरिक्त शेयर होते हैं, जो कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को मुफ्त में देती है। जब कोई कंपनी 1:1 बोनस शेयर देती है, तो हर एक मौजूदा शेयर पर एक अतिरिक्त शेयर मिलता है। यानी अगर आपके पास 100 शेयर हैं, तो बोनस के बाद आपके पास 200 शेयर हो जाएंगे।

कैसे काम करता है 1:1 बोनस शेयर?

  • कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बोनस शेयर का रेश्यो (जैसे 1:1, 2:1 आदि) और रिकॉर्ड डेट तय करते हैं।
  • रिकॉर्ड डेट तक जिन निवेशकों के पास कंपनी के शेयर होते हैं, उन्हें बोनस शेयर मिलते हैं।
  • बोनस शेयर मिलने के बाद शेयरों की कुल संख्या बढ़ जाती है, लेकिन शेयर की कीमत आमतौर पर उसी अनुपात में घट जाती है।
  • इससे निवेशकों के कुल निवेश की वैल्यू पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता, लेकिन उनके पास शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है।

1:1 बोनस शेयर का उदाहरण

मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी के 100 शेयर हैं और कंपनी 1:1 बोनस शेयर जारी करती है। तो आपको 100 अतिरिक्त शेयर मिलेंगे। अब आपके पास कुल 200 शेयर हो जाएंगे। लेकिन शेयर की कीमत लगभग आधी हो जाएगी, जिससे आपकी कुल वैल्यू वही रहेगी।

1:1 बोनस शेयर + संभावित ब्रेकआउट = बड़ा मूवमेंट?

कई बार बोनस शेयर की घोषणा के साथ-साथ शेयर में ब्रेकआउट (अचानक तेजी) की संभावना जताई जाती है। ऐसा क्यों होता है?

  • निवेशकों का उत्साह: बोनस शेयर की खबर से निवेशकों में उत्साह बढ़ता है, जिससे शेयर की मांग बढ़ सकती है।
  • लिक्विडिटी में इजाफा: बोनस शेयर से बाजार में शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे ट्रेडिंग आसान होती है।
  • मूल्य समायोजन: बोनस के बाद शेयर की कीमत घटती है, जिससे नए निवेशकों के लिए शेयर सस्ता और आकर्षक हो जाता है।
  • ब्रेकआउट की संभावना: अगर कंपनी की फंडामेंटल्स मजबूत हैं और बाजार में सकारात्मक माहौल है, तो बोनस के बाद शेयर में तेज मूवमेंट (Breakout) आ सकता है।

1:1 Bonus Share + Breakout

बोनस शेयर (Bonus Share)कंपनी द्वारा फ्री में दिए गए अतिरिक्त शेयर
1:1 बोनस रेश्योहर 1 शेयर पर 1 फ्री बोनस शेयर
रिकॉर्ड डेट (Record Date)बोनस शेयर पाने के लिए जरूरी कट-ऑफ डेट
एक्स-डेट (Ex-Date)वह तारीख जिसके बाद खरीदे गए शेयर बोनस के लिए योग्य नहीं होते
शेयर प्राइस एडजस्टमेंटबोनस के बाद शेयर की कीमत आमतौर पर घटती है
लिक्विडिटी (Liquidity)बोनस के बाद शेयरों की संख्या बढ़ने से ट्रेडिंग में आसानी
ब्रेकआउट (Breakout)बोनस/पॉजिटिव न्यूज के बाद शेयर में तेज मूवमेंट
निवेशक का फायदाशेयरों की संख्या बढ़ना, लिक्विडिटी में इजाफा

रिकॉर्ड डेट और एक्स-डेट का महत्व

रिकॉर्ड डेट वह तारीख होती है, जिस दिन तक आपके पास कंपनी के शेयर होने चाहिए, तभी आप बोनस शेयर के लिए योग्य माने जाएंगे।

एक्स-डेट रिकॉर्ड डेट से एक या दो दिन पहले होती है। भारतीय शेयर बाजार में T+2 सेटलमेंट सिस्टम चलता है, यानी शेयर खरीदने के दो दिन बाद आपके डीमैट अकाउंट में शेयर आते हैं। इसलिए, अगर आपको बोनस शेयर चाहिए, तो आपको एक्स-डेट से पहले ही शेयर खरीद लेने चाहिए।

महत्वपूर्ण बातें:

  • अगर आप एक्स-डेट के बाद शेयर खरीदते हैं, तो आप बोनस के हकदार नहीं होंगे।
  • बोनस शेयर आमतौर पर रिकॉर्ड डेट के 15-30 दिनों के भीतर डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाते हैं।

बोनस शेयर के फायदे (Benefits of Bonus Shares)

  • निवेशकों को रिवॉर्ड: बिना कोई पैसा खर्च किए, निवेशकों को अतिरिक्त शेयर मिलते हैं।
  • शेयर की लिक्विडिटी बढ़ती है: ज्यादा शेयरों के चलते बाजार में ट्रेडिंग आसान होती है।
  • कंपनी की छवि मजबूत होती है: बोनस शेयर से कंपनी की वित्तीय मजबूती का संकेत मिलता है।
  • नए निवेशकों के लिए आकर्षक: बोनस के बाद शेयर की कीमत घटने से नए निवेशकों के लिए शेयर खरीदना आसान होता है।
  • लॉन्ग टर्म में फायदा: अगर कंपनी का प्रदर्शन अच्छा है, तो लॉन्ग टर्म में बोनस शेयर से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

बोनस शेयर के नुकसान (Limitations of Bonus Shares)

  • शेयर प्राइस में गिरावट: बोनस के बाद शेयर की कीमत आमतौर पर घट जाती है।
  • कुल निवेश वैल्यू वही रहती है: बोनस शेयर मिलने के बाद भी आपके कुल निवेश की वैल्यू में कोई सीधा इजाफा नहीं होता।
  • डिविडेंड पर असर: अगर कंपनी डिविडेंड देती है, तो अब डिविडेंड प्रति शेयर कम हो सकता है, क्योंकि शेयरों की संख्या बढ़ गई है।
  • शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स के लिए रिस्क: तुरंत प्रॉफिट की उम्मीद करने वाले ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है, क्योंकि शेयर प्राइस एडजस्ट हो जाता है।

बोनस शेयर कैसे मिलते हैं? (Process of Getting Bonus Shares)

  1. कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बोनस शेयर का प्रस्ताव पास करते हैं।
  2. बोनस रेश्यो और रिकॉर्ड डेट की घोषणा होती है।
  3. जिन निवेशकों के पास रिकॉर्ड डेट तक शेयर होते हैं, उन्हें बोनस शेयर मिलते हैं।
  4. बोनस शेयर आमतौर पर रिकॉर्ड डेट के 15-30 दिनों के भीतर डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाते हैं।
  5. बोनस के बाद शेयर की कीमत एडजस्ट हो जाती है।

बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट में अंतर (Bonus Share vs Stock Split)

पैरामीटरबोनस शेयरस्टॉक स्प्लिट
उद्देश्यशेयरधारकों को फ्री में अतिरिक्त शेयर देनाशेयरों को छोटे डिनॉमिनेशन में बांटना
शेयरों की संख्याबढ़ती हैबढ़ती है
शेयर प्राइसबोनस अनुपात के अनुसार घटती हैस्प्लिट अनुपात के अनुसार घटती है
निवेशक की वैल्यूवही रहती हैवही रहती है
कंपनी के रिजर्वघटते हैं (रिजर्व से बोनस शेयर जारी होते हैं)रिजर्व पर कोई असर नहीं
डिविडेंड पर असरहो सकता हैआमतौर पर नहीं

बोनस शेयर के बाद शेयर प्राइस में बदलाव (Share Price Adjustment After Bonus)

  • अगर बोनस से पहले शेयर की कीमत ₹100 थी और आपके पास 100 शेयर थे, तो आपकी कुल वैल्यू ₹10,000 थी।
  • बोनस के बाद आपके पास 200 शेयर हो जाएंगे, लेकिन शेयर की कीमत ₹50 हो जाएगी।
  • कुल वैल्यू फिर भी ₹10,000 ही रहेगी।

यह समायोजन बाजार में अपने आप हो जाता है, ताकि निवेशकों को कोई सीधा फायदा या नुकसान न हो।

क्या बोनस शेयर से शेयर में ब्रेकआउट आता है? (Does Bonus Share Lead to Breakout?)

  • पॉजिटिव सेंटिमेंट: निवेशकों को लगता है कि कंपनी की फाइनेंशियल हालत मजबूत है, इसलिए वे ज्यादा खरीदारी करते हैं।
  • लिक्विडिटी में इजाफा: ज्यादा शेयरों की वजह से ट्रेडिंग में आसानी होती है, जिससे वॉल्यूम बढ़ता है।
  • नए निवेशकों की एंट्री: शेयर की कीमत कम होने से नए निवेशक आकर्षित होते हैं।
  • कंपनी की ग्रोथ: अगर कंपनी के फंडामेंटल्स मजबूत हैं, तो लॉन्ग टर्म में शेयर में अच्छी ग्रोथ हो सकती है।

लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार बोनस शेयर के बाद शेयर में ब्रेकआउट ही आए। कई बार कीमत एडजस्ट होने के बाद शेयर साइडवेज या गिर भी सकता है।

बोनस शेयर के टैक्स नियम (Tax Implications of Bonus Shares)

  • बोनस शेयर मिलने पर कोई टैक्स नहीं लगता।
  • लेकिन जब आप बोनस शेयर बेचते हैं, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है।
  • बोनस शेयर की खरीद कीमत (Cost of Acquisition) जीरो मानी जाती है।
  • अगर बोनस शेयर एक साल से ज्यादा होल्ड किए हैं, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) लगेगा; वरना शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) लगेगा।

क्यों कंपनियां बोनस शेयर जारी करती हैं? (Why Do Companies Issue Bonus Shares?)

  • शेयरधारकों को रिवॉर्ड देने के लिए
  • शेयर की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए
  • शेयर की कीमत को आकर्षक बनाने के लिए
  • कंपनी के रिजर्व को इक्विटी में बदलने के लिए
  • बाजार में कंपनी की छवि मजबूत करने के लिए

बोनस शेयर के समय किन बातों का ध्यान रखें? (Important Things to Keep in Mind)

  • रिकॉर्ड डेट और एक्स-डेट को जरूर चेक करें।
  • बोनस शेयर मिलने के बाद शेयर की कीमत एडजस्ट हो जाएगी, तुरंत प्रॉफिट की उम्मीद न करें।
  • कंपनी के फंडामेंटल्स जरूर देखें, सिर्फ बोनस के लालच में निवेश न करें।
  • लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए बोनस शेयर फायदेमंद हो सकते हैं।
  • टैक्स नियमों की जानकारी रखें।

बोनस शेयर की घोषणा के बाद क्या करें? (What to Do After Bonus Share Announcement?)

  • अगर आपके पास पहले से शेयर हैं, तो बोनस शेयर के लिए योग्य हैं।
  • अगर बोनस के लालच में शेयर खरीद रहे हैं, तो एक्स-डेट से पहले खरीदें।
  • कंपनी के फंडामेंटल्स और बाजार ट्रेंड्स का विश्लेषण करें।
  • लॉन्ग टर्म नजरिया रखें, शॉर्ट टर्म में प्राइस एडजस्टमेंट से घबराएं नहीं।
  • बोनस शेयर डीमैट अकाउंट में क्रेडिट होने का इंतजार करें।

निष्कर्ष (Conclusion)

1:1 बोनस शेयर निवेशकों के लिए एक शानदार मौका है, जिसमें बिना कोई पैसा लगाए आपके पास शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है। हालांकि, बोनस शेयर के बाद शेयर की कीमत में एडजस्टमेंट होता है और कुल निवेश की वैल्यू वही रहती है।

अगर कंपनी की फंडामेंटल्स मजबूत हैं और बाजार में सकारात्मक माहौल है, तो बोनस शेयर के बाद शेयर में ब्रेकआउट (बड़ा मूवमेंट) भी आ सकता है। लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि सिर्फ बोनस के लालच में निवेश न करें, कंपनी की क्वालिटी और लॉन्ग टर्म ग्रोथ को प्राथमिकता दें।

रिकॉर्ड डेट और एक्स-डेट पर नजर रखें, टैक्स नियम समझें और निवेश का फैसला सोच-समझकर लें। बोनस शेयर लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए अच्छा रिवॉर्ड हो सकते हैं, लेकिन शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को सावधानी बरतनी चाहिए।

Disclaimer: यह आर्टिकल केवल जानकारी और एजुकेशन के उद्देश्य से लिखा गया है। 1:1 बोनस शेयर और संभावित ब्रेकआउट से शेयर में बड़ा मूवमेंट जरूर आ सकता है, लेकिन यह हर बार जरूरी नहीं है। शेयर की कीमत बोनस के बाद एडजस्ट हो जाती है और कुल निवेश की वैल्यू में कोई सीधा इजाफा नहीं होता। निवेश करने से पहले कंपनी की फंडामेंटल्स, बाजार की स्थिति और अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है।

Final Advice:
बोनस शेयर एक अच्छा मौका है, लेकिन निवेश का फैसला सोच-समझकर और रिसर्च के बाद ही लें। लॉन्ग टर्म नजरिया रखें, कंपनी की क्वालिटी पर भरोसा करें और बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराएं नहीं।

Advertisements
Advertisements

Leave a Comment